चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें। दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। https://lanecjrmg.dm-blog.com/29846055/shiv-chalisa-lyrics-fundamentals-explained